Alongside his coaching practice, he runs his research portal Know Your True Self Research Academy (www.kyts.in).
He is among the pioneer promoters of Emotional Health and well-being in India since 2005 and runs his initiative MEHAC - Mental & Emotional Health Awareness Campaign to not only spread awareness but also to equip the individuals to take charge of their emotional health and well-being in their own hands.
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ओ बंदा रे में तो तेरे पास में ..
आज से दो दशक पहले जब पहली बार ये एहसास हुआ था , तभी से एक अलग तरह कि सोच बनी | लेकिन जीवन के सफर में कई बार उस सोच को दबाया गया, गलत ठहराया गया | डराकर , चमत्कार दिखाकर इस बात पर विश्वास दिलवाने की कौशिक्ष की गयी कि पूजा, मूर्तियाँ, ग्रंथ, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च , तीर्थस्थान, उपाय, rituals के बिना तुम ठीक से नहीं जी सकते | पंडित, गुरु, साधु, पहुंचे हुए लोग, सभी ने इस बात को और पक्का किया कि डर कर जीना सीखो | और यहाँ तक कि वो लोग जो खुद को बहुत advance मानते थे और इस बातों को backward और superstition का नाम देते थे वो भी जब लगातार असफलता के दौर से या किसी शारीरिक disease से गुजर रहे होते थे तो कहीं न कहीं डर से इन बातों को मानने लगे थे |
लेकिन मुझे फिर भी लगता था कि कहीं कुछ कमी है | कहीं कुछ खोया हुआ सा है | कहीं कुछ था जो समझ नहीं या रहा है |
और फिर एक दिन वो सारी कमियाँ दूर हो गयी | सारा confusion हट गया, सब | सब कुछ साफ-साफ दिखने लगा | और उस दिन से जब से अपने अंदर देखना शुरू किया , तब से सब कुछ शीशे कि तरह साफ है | जब से ये समझ आया है कि सबकुछ अंदर ही है और वहीं से बाहर का निर्माण कर रहा है , तब से जिंदगी को देखने का नजरिया पूरी तरह से बदल गया है और ये वाक्य मेरे लिए ब्रह्म वाक्य बन गया कि
“हमारी बाहरी दुनिया, हमारी अंदर कि दुनिया का सटीक प्रतिबिंब है “
Our Outside (World) is the Exact Reflection of
Our Inside (World).
सब कुछ अन्दर है। सब कुछ हमारे पास है। कहीं और जाने की ज़रुरत नहीं । डरने की ज़रुरत नहीं । दोहरी ज़िन्दगी जीने की ज़रुरत नहीं |
जरूरत है तो सिर्फ विश्वास की |
विश्वास अपने ऊपर | विश्वास प्रकृति के ऊपर | विश्वास जो हो रहा है वो अच्छे के लिए हो रहा है, इसके ऊपर | विश्वास अपने कर्मों पर | विश्वास अपने मूल स्वरूप पर | विश्वास प्रकृति के मूल सिद्धांतों पर | विश्वास उस सार्वभौमिक consciousness पर |
और जितना ये विश्वास बढ़ता जाएगा उतनी ज्यादा clarity आती जाती है | उतना डर काम होता जाता है | उतना आप खुद के नजदीक होते चले जाते हो | और उतना बाहर से ध्यान हटकर अंदर कि तरफ लगने लगता है |
और जब Raaz-2 का ये गाना आया तब ऐसा लगा जैसे इस अभिव्यक्ति को, इस अभूतपूर्व एहसास को, इस गहरे अनुभव को व्यक्त करने के लिए सटीक शब्द मिल गए हैं | जितनी स्पष्टता के साथ इस phenomenon को इस गाने के lyrics ने व्यक्त किया है वो मैं आज तक कहीं नहीं पाया |
और इसी लिए मेरे लिए इस गाने के lyrics एक मील का पत्थर साबित हुए और ये आज भी मुझे उतनी ही क्लेरिटी और दिशा देते हैं जो ये इस गाने के release के वक्त (2009) में देते थे | यही वजह है कि मेंने इन अद्भुत शब्दों को अपने इस ब्लॉग पोस्ट के जरिए और लोगों से भी शेयर करने का फैसला लिया | न जाने किसके लिए ये एक “Eureka Moment” साबित हो और उसकी जिंदगी को एक ठोस दिशा मिल जाए, जैसे मुझे मिली |
ओ बंदा रे में तो तेरे पास में ……
Song source : “O Banda Re” from Raaz 2. Sung by : Krishna Beura. Music : Gaurav Dasgupta. Lyrics : Sayeed Quadri
About Post Author
Mahesh Sharma
Mahesh is an internationally certified LIFE purpose coach, speaker, and learning facilitator by profession and a humanist, researcher, and nature enthusiast by choice.
Alongside his coaching practice, he runs his research portal Know Your True Self Research Academy (www.kyts.in).
He is among the pioneer promoters of Emotional Health and well-being in India since 2005 and runs his initiative MEHAC – Mental & Emotional Health Awareness Campaign to not only spread awareness but also to equip the individuals to take charge of their emotional health and well-being in their own hands.